यह बहुत जरूरी बात है कि आपका पैसा आपके काम आए फिर चाहे आपकी उम्र जो भी हो। सीनियर सिटिजन्स के लिए सबसे बड़ी बाधा उनकी बढ़ती उम्र होती है इसलिए यह जरूरी है कि वे समझदारी से निवेश करें। मौजूदा समय में सीनियर सिटिजन्स के लिए निवेश के कई विकल्प उपलब्ध हैं। आज हम आपको बताने वाले हैं कि म्यूचुअल फंड में निवेश करना सीनियर सिटिजन्स के लिए कितना सही और बेहतर विकल्प है और साथ ही आप कैसे रिस्क और रिटर्न में बेहतर तालमेल बैठा सकते हैं।
SENIOR CITIZEN MUTUAL FUND
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सीनियर सिटिजन्स के लिए है कई म्यूचुअल फंड:-
मौजूदा समय में म्यूचुअल फंड में निवेश और NFO के सदस्यता की संख्या समान रूप से बढ़ रही है म्यूचुअल फंड के बारे में एक आम धारणा यह है कि वे सीनियर सिटिजन्स के लिए जोखिम भरा होता है लेकिन मौजूदा वक्त में ऐसे कई म्यूचुअल फंड हैं जिन्हें खासतौर पर सीनियर सिटिजन्स की जरूरतों और कम जोखिम को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है।
RD (Recurring Deposit) और FD (Fixed Deposit) में मिलता है कम रिटर्न:-
देश में Fixed Deposit और Recurring Deposit (FD or RD) जैसे ट्रेडिशनल फाइनेंशियल स्कीम (Traditional Financial Scheme) मौजूद है लेकिन मौजूदा वक्त में इन स्कीम में सबसे कम रिटर्न मिल रहा है। इस स्कीम में किया गया निवेश मुद्रास्फीति (Inflation) से प्रभावित होता है जिसकी वजह से आपको उम्मीद के मुताबिक अच्छा रिटर्न नहीं मिल पाता है।
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म्यूचुअल फंड देता है Flexibility:-
म्यूचुअल फंड का मकसद निवेशकों के निवेश में विविधता लाना और पैसे को Stock, Bond, ETF और Bond जैसे प्लान में निवेश कराना है इनका प्रदर्शन बाजार से प्रभावित होता है। म्यूचुअल फंड निवेशकों की मेहनत की कमाई को Fund Manger द्वारा निवेश बेनेफिट्स के लिए किया जाने वाला इन्वेस्टमेंट है। म्यूचुअल फंड में निवेश सिस्टैमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) या एकमुश्त भुगतान (Lumpsum) के जरिए किया जा सकता है। म्यूचुअल फंड को सीनियर सिटिजन्स के लिए एक बेहतर विकल्प के रूप में देखा जा सकता है जिन्हें निवेश में Flexibility की जरूरत होती है इसके साथ ही Mutual Fund सीनियर सिटिजन्स के निवेश को मुद्रास्फीति (Inflation) के असर से भी बचाता है।
Long Term में मिलेगा ज्यादा रिटर्न:-
आमतौर पर सीनियर सिटिजन्स जोखम भरे प्लान में निवेश नहीं करते हैं, जिसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि वो पहले ही रिटायर हो चुके हैं और मार्केट से जुड़े नुकसान नहीं उठाना चाहते है। वे हमेशा ऐसे प्लाने में निवेश करना चाहते हैं जो उन्हें गारंटीड रिटर्न (Guaranteed Return) का वादा करता है। इसके चलते ही वो Post Office, Saving Account, Bank Fixed Deposit या फिर नेशनल पेंशन स्कीम(NPS) में निवेश को प्राथमिकता (Priority) देते हैं। हालांकि Mutual Fund भी सीनियर सिटिजन्स के लिए फायदेमंद होते हैं और उनके लिए एक बेहतर विकल्प बन सकते हैं। यह सच है कि मार्केट Short Term की अवधि में आपको नुकसान दिखाई दे लेकिन Long Term में यह आपको एक अच्छा रिटर्न देता ही है। म्यूचुअल फंड निवेशक को कभी भी अपना निवेश वापस लेने का अधिकार देता है जबकि यह विकल्प NPS या किसी स्कीम में नहीं होता है यानी सीनियर सिटिजन्स अपनी जरूरत के हिसाब से सभी परिसंपत्ति में अपने पोर्टफोलियो में बदलाव करने की भी छूट देता है।
डेट म्यूचुअल फंड में करें निवेश:-
पहले पांच सालों के लिए सीनियर सिटिजन्स को डेट म्यूचुअल फंड(Debt Mutual Fund) में निवेश करना चाहिए। आप अगले पांच सालों के रेगुलर खर्चों (Regular Expense) के लिए अपनी जरूरत के पैसे को बैलेंस्ड म्यूचुअल फंड (Balanced Fund) में निवेश कर सकते हैं। एक लार्ज कैप इक्विटी फंड (Large Cap Fund) का इस्तेमाल उन फंडों के लिए किया जा सकता है जिनकी दस साल बाद जरूरत होगी। रिटायरमेंट के बाद निवेश से पहले आपको किसी फाइनेंशियल एडवाइजर (Financial Advisor) से सलाह जरूर लेनी चाहिए ताकि वो आपको आपकी जरूरत के हिसाब से कम जोखिम वाले निवेश स्कीम के बारे में बता सके।
मौजूदा वक्त में बैंक सीनियर सिटिजन्स को Fixed Deposit पर 3% से 7% तक का ब्याज दे रहे हैं। सरकार ने हाल ही में Post office में सीनियर सिटिजन्स की सेविंग स्कीम की ब्याज दरों को बढ़ाकर 7.6 प्रतिशत कर दिया है वहीं नेशनल पेंशन स्कीम में निवेशकों को 9 प्रतिशत से 12 प्रतिशत तक का ब्याज मिल रहा है।
FD के मुकाबले में डेट फंड में मिलेगा बेहतर रिटर्न:-
हर म्यूचुअल फंड में एक अलग तरह का जोखिम होता है और वह उसी हिसाब से निवेशक को रिटर्न देता है। म्यूचुअल फंड में रिटर्न मार्केट से जुड़ा होता है इसलिए यह कभी भी निर्धारित रिटर्न नहीं देता हालांकि यह आपको ज्यादा रिटर्न हासिल करने का विकल्प देता है। अगर आप रिटायर हो चुके हैं और Short term में निवेश करना चाहते हैं तो आप अच्छी क्रेडिट रेटिंग वाली कंपनियों के short term bond में निवेश कर सकते हैं। बैंक FD के मुकाबले में ये डेट फंड आपको काफी बेहतर रिटर्न दे सकते हैं।
मौजूदा Mutual Fund Tax Rules, के अनुसार जब आप उन्हें Redeemed करते हैं तो आपको अपने निवेश पर Capital Gain का भुगतान करना होगा। डेट फंड और डेट-ओरिएंटेड हाइब्रिड फंड्स के लिए तीन साल से कम समय के लिए निवेश short term capital गेन टैक्स (STCG) के अधीन है और आपको अपने आयकर ब्रैकेट के अनुसार टैक्स का भुगतान करने की जरूरत है। भुनाए गए निवेश को long term capital gen (LTCG) के रूप में माना जाता है अगर बेनेफिट्स कम से कम तीन साल की स्कीम में निवेश पर मिला है तो इंडेक्सेशन के बाद LTCG पर 10 प्रतिशत टैक्स लगता है।
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निवेश सलाह:-
एक्सपर्ट्स का मानना है कि वरिष्ठ नागरिकों को शुरूआती 5 साल तक डेट म्यूचुअल फंड में डालना चाहिए उसके बाद अगले पांच साल के लिए बैलेंस्ड म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहिए। आप कभी भी अपने पोर्टफोलियो में बदलाव कर सकते हैं तथा जब चाहे तब निवेश किये गए पैसे निकाल सकते हैं, हालांकि अन्य कई स्कीमों जैसे राष्ट्रीय पेंशन योजना के साथ ऐसा नहीं है आप समय से पहले अपने फुंड नहीं निकाल सकते हैं।
निवेश के लिए विकल्प:-
- डाकघर बचत योजना में निवेश से 7.6 प्रतिशत का रिटर्न प्राप्त किया जा सकता है।
- राष्ट्रीय पेंशन योजना के तहत 8 से 12 प्रतिशत तक का ब्याज प्राप्त किया जाता है।
कम अवधि में बढ़िया रिटर्न कैसे बनायें?
वरिष्ठ नागरिकों को कम जोखिम के साथ अच्छे रेटिंग वाले इक्विटी फंड में निवेश करना चाहिए आप चाहें तो डेट फंड में भी निवेश कर सकते हैं। इससे आपको कम समय में बढ़िया रिटर्न प्राप्त हो सकता है।
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